मंगलवार, 20 जुलाई 2021

छोटी बहू

एक किसान के परिवार में किसान के दो बेटे थे। किसान के बड़े बेटे की बहू ज्यादा काम नहीं करती थी व थोड़ी आलसी थी । कुछ साल बाद छोटे बेटे की भी शादी हुई और उसकी बहू घर आयी। वह छोटी बहू सबके साथ खेत में काम करने जाती थी। एक साल बाद सब ने सोचा अब एक साल बारी बारी से दोनों बहुएं खेत में काम करने जाएंगी। अब छोटी बहू घर में रहेगी, बड़ी बहु हमारे साथ खेत में काम करने जाएगी। बड़ी बहू को यह अच्छा तो नहीं लगा पर उसे सबकी बात माननी पड़ी। 

बड़ी बहू इतने साल घर में आराम से रहती थी और जब सब चले जाते तो ज्यादा काम नहीं करती थी। कामचलाऊ काम करके आराम करती थी। दिन भर में बाहर जो भी खाने पीने की चीजें बिकने आतीं, ले कर खाती रहती थी। वह ऐसा दिखाती शाम को बहुत थक गई और जैसे तैसे खाना बना कर रख देती। क्योंकि उसका पेट तो भरा रहता था। अब जब वह खेत में जाकर काम करती तो उसे खेत में मेहनत करना पसंद नहीं आ रहा था । 

इधर जब छोटी बहू घर में रहने लगीए तो उसने सब तरफ घर के अन्दर घूमघूम कर देखा। एक कमरे में धान का भूसा भरा था। उसने देखा कि भूसे में बहुत से चावल के टुकड़े (कनकी) थे। वो भूसे को  सूप में फटककर कनकी निकाल लायी और दही वाले से धान के बदले उसने दही ले लियाए दही वाले ने कहा, बड़ी बहू तो दूध घी भी लेती थी; जिसको वह लेकर खुद ही खा-पी लेती थी । छोटी बहू ने अभी जरूरत नहीं है कह कर उसे जाने को कह दिया । इसी प्रकार दिन भर सब्जी वाले, मिठाई वाले आते । सब आवाज़ देकर यही कहते कि बड़ी बहू तो रोज़ हमसे सामान लेती थी । 


अब छोटी बहु को पता चला कि दीदी सामान लेती और उनके आने से पहले ही खत्म कर देती थी और उन सबके लिए जैसा तैसा खाना बनाकर तबियत ठीक न होने का बहाना बनाकर सो जाती थी । 

छोटी बहू ने उनसे आवश्यकतानुसार सामान ले लिया । शाम को कनकी में दही डालकर खिचड़ी बनाई । सब आये तो प्रेम से परोस कर खिलाया । उससे सब खुश हो गए । उसके ससुर तो कहने लगे कितने साल बाद मैं खिचड़ी खा रहा हूँ । तुम्हारी सास ऐसी खिचड़ी बनाती थी । 

छोटी बहू मुस्कुराती रही। दिन भर हुई कोई भी बात किसी को नहीं बताई । बड़ी बहू के बारे में किसी से कुछ नहीं कहा । दूसरे दिन उसने नाश्ते में कनकी को पीस कर रोटी बनायी । यह रोज सबके जाने के बाद कुछ न कुछ काम करती रहती थी । उसने घर को धीरे.धीरे एकदम साफ सफाई करके चमका दिया । कोठियों मैं जो धान भरा था। उसे साल भर के लिए जरूरत के हिसाब से रख कर बाकी को बिकवा कर पैसा जमा करवा दिया। वे उस पैसे से घर के लिए जरूरी सामान ले लेते थे । छोटी बहू रोज थोड़े थोड़े भूसे से कनकी निकालकर नए नए व्यंजन बनाती थी ।

सालों से भूसा एकत्र था । सब बड़े चाव से खाते और उसकी प्रशंसा करते । बड़ी बहू को अच्छा नहीं लगता था, पर वह कुछ भी कह नहीं पाती थी । अड़ोसी-पड़ोसी भी छोटी बहु की तारीफ़ करने लगे । सब बातें करते कि बड़ी बहू दिन भर यहां-वहां घूमती रहती थी और तरह तरह की चीजें ले लेकर खाती और आराम करती थी । 

इस प्रकार धीरे धीरे छोटी बहू ने घर की व्यवस्था सही कर दी । उसने एक दुधारू गाय ले ली और ससुर जी ने धान के बेचने से मिले पैसों से एक दुकान खोल ली । चुंकी उनकी उम्र भी खेत में मेहनत करने की नहीं थी। 

एक साल बीत गया अब बड़ी बहू के घर में रहने की बारी आ गयी थी । वह बहुत खुश थी कि अब घर में रहने को मिलेगा और पहले की तरह मौज-मस्ती होगी । लेकिन सबने उसकी इस मस्ती पर पानी फैर दिया और उसे खेत में ही काम करने को कहा और छोटी बहू को घर संभालने को कह दिया । 

बड़ी बहू को अब तक अपनी ग़लती का अहसास हो गया था । वह सबसे माफ़ी माँगने लगी । सबने उसे माफ़ कर दिया और दोनों बहुऐं मिल.जुल कर घर और खेत का काम करने लगीं । छोटी बहु ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से घर को स्वर्ग बना दिया। 

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