आयकर रिटर्न भरते वक्त बरते ये सावधानियां
आयकर रिटर्न भरने के दौरान कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। कई बार आपके द्वारा रिटर्न भरने
में हुई छोटी सी चूक आयकर विभाग के नोटिस का कारण बन सकती है। इससे बचने के लिए रिटर्न फाइल
करने से पहले इससे जुड़ी सही जानकारी होने पर गलतियों से बचा जा सकता है।
आइये जानते हैं कि आयकर रिटर्न भरते समय कहां हो सकती है गलती और इससे कैसे बचा जा सकता है।
ब्याज की जानकारी नहीं देना:
आयकर रिटर्न भरते समय करदाता को अपनी सभी आय का ब्योरा देना जरूरी है। आमतौर पर रिटर्न भरतेसमय करदाता एफडी और रेकरिंग डिपॉजिट के ब्याज से होने वाली आय को देना जरूरी नहीं समझते हैं। यह गलती ज्यादातर करदाता करते हैं।
जबकि, एफडी या रेकरिंग डिपॉजिट से मिलने वाला इंटरेस्ट अगर 10,000 रूपए से अधिक है तो इसकी जानकारी रिटर्न भरते वक्त देनी जरूरी होता है।
टीडीएस का ब्योरा नहीं देना:
ऑनलाइन रिटर्न भरने में टीडीएस कटे हुए इनकम का भी ब्योरा देना चाहिए। करदाता अक्सर अलग-अलग स्त्रोतों से हुए आय पर टीडीएस कटौती का ब्योरा रिटर्न फाइल करते वक्त देना जरूरी नहीं समझते। ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि, अधिकांश करदाता इस बात को मानते हैं कि इन आय पर कर काटा जा चुका है तो इसके विषय में फॉर्म में जानकारी देना जरूरी नहीं है। जो कि सही नहीं है।टैक्स फ्री आय का ब्योरा:
शेयर में किए हुए निवेश पर डिविडेंड, पीपीएफ, ईपीएफ की मैच्योरिटी और खेती से होने वाली आय पर भी टैक्सछूट मिलती है। इसलिए करदाता को इसका ब्योरा भी देना चाहिए जबकि करदाताओं को गलतफहमी होती है कि इन पर टैक्स छूट नहीं मिलती।
इसके अलावा अगर आप सैलरीड है और आपको इसके अलावा भी रेंट, कमीशन आदि से कोई एक्ट्रा इनकम हो रही है तो उसकी भी जानकारी आपको
रिटर्न में देनी चाहिए इसके अभाव में यह गलत फाइलिंग मानी जायेगी।
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